मेट्रो फ्यूचर न्यूज़ बदायूं करते हैं नूरानी मस्जिद के इमाम अब्दुस समी कादरी ने बहुत ही अच्छे तरीके से लोगों के दिलों में बात समझ आई शब ए बारात इसे गुनाहों की माफी और रहमत की रात के रूप में भी जाना जाता है शब-ए-बारात का त्योहार इस्लाम के अहम त्योहारों में से एक हैं.

इस दिन लोग रात में जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं जिस रात का मुस्लिम धर्म के लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है वह रात आने वाली है. मुस्लिम बंदे मस्जिदों और अपने घरों में शब ए बारात पर रतजगा कर इबादत करेंगे. इसके साथ दरगाहों, कब्रिस्तानों में जाकर अपने पूर्वजों एवं परिजनों की कब्रों पर दरूद फातिहा पड़ते है शब ए बारात पर रोजा भी रखा जाता है. इस रात अल्लाह से जो भी दुआ मांगो वह कबूल होती है. लोग खुदा से अपने गुनाहों की तौबा करते हैं. लेकिन मगफिरत (माफी) तब तक नहीं मिलती जब तक दिल से तौबा न की जाए. कहा जाता है कि इस रात अल्लाह इंसान के पिछले आमालों (काम) को ध्यान में रखकर उसके आने वाले सालों की किस्मत लिखता है. कौन कब पैदा होगा और कौन कब मरेगा इसका रिकॉर्ड भी इस दिन लिखा जाता है. इस मौके पे परवेज बिलाल जयरुल आगाज जलील गांव के चंद भले लोग भी मौजूद रहे