Saturday, December 14, 2024
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संभल और अजमेर दरगाह मामलों में वरशिप एक्ट 1991 के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की मांग

मेट्रो फ्यूचर न्यूज़ लखनऊ पीस पार्टी के जिला अध्यक्ष मोहम्मद नफीस मंसूरी ने आज सुप्रीम कोर्ट को एक आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने संभल और अजमेर दरगाह से संबंधित विवादों में न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि इन विवादों ने न केवल धार्मिक सहिष्णुता को खतरे में डाला है, बल्कि सार्वजनिक शांति और राष्ट्रीय एकता पर भी गंभीर असर डाला है।मंसूरी ने अपने आवेदन में यह उल्लेख किया कि इन घटनाओं ने वरशिप एक्ट 1991 का उल्लंघन किया है, जो यह सुनिश्चित करता है कि देश के धार्मिक स्थल 15 अगस्त 1947 की स्थिति में बने रहें। इन विवादों के जरिए समाज में तनाव और अशांति फैलाने की कोशिश की जा रही है, जो भारतीय संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है।पीस पार्टी के जिला अध्यक्ष ने न्यायालय से निम्नलिखित मांग की है:-1. वरशिप एक्ट 1991 के तहत इन मामलों की गहन जांच हो।2. दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।3. धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए ठोस उपायों को लागू किया जाए।4. भड़काऊ भाषणों और गतिविधियों पर सख्त प्रतिबंध लगाए जाएं।मंसूरी ने यह भी कहा कि यह मामला भारत की सामाजिक शांति और राष्ट्रीय एकता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, और सुप्रीम कोर्ट से इसे प्राथमिकता के साथ देखने की अपील की है।पीस पार्टी का मानना है कि इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप से समाज में सद्भावना और शांति की स्थापना की दिशा में अहम कदम उठाया जा सकता है।

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